Saturday, October 2, 2010

छोटा सा बादल ...... CHHOTA SA BADAL...

स्मित मुस्कान हो,
लाल आसमान हो,
पलके उठे झुके,
लब थर थराए रुके,
पास तुम बैठी रहो,
लहराती आंचल ॥1


गुल मोहर खिले कहीं
दो पल मिले कहीं
और एक साथ गिने
हृदय की धड़कने
चांदनी ढके रहे
छोटा सा बादल ॥2॥


****शिव प्रकाश मिश्र ******

1 comment:

  1. मिश्र जी सुन्दर भाव से भरी श्रृंगार पूर्ण रचना आइये प्रेम बरसाते बढे चलें
    पास तुम बैठी रहो लहराती आँचल ..सुन्दर

    शुक्ल भ्रमर ५

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